कात्यायनी : मां के छठे स्वरूप को कहते हैं मां कात्यायनी। कहते हैं इनकी अराधना से भय, रोगों से मुक्ति और सभी समस्याओं का समाधान होता है। ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी का जन्म मह्रिषी कात्यायन के यहां हुआ था। ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि उनके घर पुत्री पैदा होगी जिसकी लोग पूजा करेंगे। महिषासुर राक्षस का वध करने के कारण इनका एक नाम महिषासुर मर्दिनी भी है।
ऐसा है स्वरुप: मां कात्यायनी का वाहन सिंह है और इनकी चार भुजाएं हैं।
मंत्र:
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि||
चढ़ावा: मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है। इसलिए इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनें और मां को शहद चढ़ाएं।
पूजा: मां कात्यायनी की पूजा के लिए पहले फूलों से मां को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान जरूर करें। इस दिन दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। पुष्प और जायफल देवी को अर्पित करना चाहिए। देवी मां के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए। पुराणों में बताया गया है कि देवी की पूजा से गृहस्थों और विवाह योग्य लोगों के लिए बहुत शुभफलदायी है।
ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।