नियमों को ताक पर रख की पेड़ों की छंटाई

नई दिल्ली। रोहिणी सेक्टर-21 के पॉकेट-12 में वर्षो पुराने छायादार पेड़ों की मुख्य शाखाओं की कटाई से लोग नाराजगी जता रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में प्रदूषण का भयावह दृश्य देखे अभी कुछ ही दिन बीते हैं। ऐसे में लोगों का कहना है कि पेड़ों की इस तरह से कटाई पर्यावरण के लिहाज से बहुत बड़ी लापरवाही है। स्थानीय आरडब्ल्यूए के अनुसार इन पेड़ों में नीम, पीपल और शीशम के पेड़ शामिल हैं जो करीब 20-25 वर्ष पुराने हैं। इन पेड़ों को इस तरह से काटा गया है कि अब इनमें पत्ते भी नजर नहीं आते।

लोगों की शिकायत यह है कि बेतरतीब पेड़ों से होने वाली असुविधा को देखते हुए उसकी छंटाई तो की जा सकती है, लेकिन नियमों की धज्जियां उड़ाकर ऐसे पुराने, औषधीय और छायादार वृक्षों को इस तरीके से तो नहीं काटा जा सकता, जिससे वे सूखने लगें। पेड़ों की छंटाई में यह ध्यान रखा जाता है कि तने की मोटाई तीन एमएम (मिलीमीटर) हो, लेकिन जिन पेड़ों की छंटाई हुई हुई है उनकी शाखाओं की मोटाई 17 से 20 एमएम है। ऐसे में इन छायादार पेड़ों की ऐसी हालत देखकर लोग परेशान हैं और इसकी शिकायत मेयर से भी की है।

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क्षेत्र में पेड़ों की कमी नहीं है, लेकिन अचानक करीब 20 पेड़ों की हुई ऐसी छंटाई से हरियाली कम लगने लगी है। प्रदूषण के स्तर को देखते हुए यदि बिना सोचे समझे इसी तरह से पेड़ों को काटा जाएगा तो परिणाम बुरे साबित हो सकते हैं।

डॉ.अश्विनी कुमार, स्थानीय निवासी।

पेड़ों की छंटाई के लिए लोगों ने आवेदन दिया था, लेकिन उसे उजाड़ बनाकर छोड़ दिया गया। आश्चर्य की बात यह है कि इसके लिए इस बार वन विभाग की मंजूरी की भी जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि हर बार छोटी-मोटी छंटाई के लिए वन विभाग की मंजूरी का हवाला दिया जाता रहा है।

मीना कुमारी, निवासी।

उद्यान विभाग के कर्मचारियों की ओर से की गई इस छंटाई से इलाके की हरियाली प्रभावित हो रही है। पीपल के एक और नीम के दो पेड़ों की कटाई कर उसे उजाड़ बना दिया गया है। कुछ लोग अपने फायदे के लिए भी हरियाली से खिलवाड़ करते हैं। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है।

-निर्मला, निवासी।

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