आॅड-ईवन योजना शुरू होने से पहले ही दम तोड़ रही डीटीसी: विजेन्द्र गुप्ता

vijender-gupta-schedule-19दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार 15 अप्रैल, 2016 से शुरू होने वाली आॅड-ईवन योजना को सफल बनाने के लिए करोड़ों रुपया फूंक रही है, लेकिन दिल्ली के लोगों को सार्वजनिक परिवहन सेवा उपलब्ध कराने वाली दिल्ली परिवहन निगम योजना शुरू होने से पहले ही दम तोड़ने लगी है। इससे आशंका बढ़ गयी है कि पिछली आॅड-ईवन योजना की तरह इस बार की आॅड-ईवन योजना भी दम तोड़ देगी। उन्होंने बताया कि आॅड-ईवन योजना को सफल बनाने के लिए सार्वजनिक परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली तथा एनसीआर में 11,000 से अधिक डीटीसी बसों की आवश्यकता है। डीटीसी के पास अभी कुल 4461 बसें ही हैं। इनमें से 150 से 200 बसें हर रोज रास्ते में ही खराब हो जाती हैं। ये बसें कहीं भी खराब होकर बीच सड़क पर खड़ी हो जाती हैं। इससे सड़क पर चलने वाले परिवहन में बाधा उत्पन्न होती है। ये बसें जाम का कारण बनती हैं। इस समस्या के निवारण के लिए दिल्ली सरकार ने कोई प्रबंध नहीं किया है। डीटीसी ने जिस समय वातानुकूलित तथा गैर वातानुकूलित लो-फ्लोर बसें खरीदी थीं, उस समय सरकार ने इन बसों के खराब होने पर मरम्मत की भी जिम्मेदारी बस कंपनी को दी थी। कंपनी को इसके बदले में साल में करोड़ों रुपया रख-रखाव के रूप में दिल्ली सरकार अदा कर रही है। इसके बावजूद बस निर्माता कंपनी दिल्ली सरकार को आपूर्तित बसों के रख रखाव में पूरी तरह विफल है। नतीजा बसों में यात्रा करने वाले लोगों और दिल्ली परिवहन निगम को आर्थिक घाटे के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इस बार सम-विषय योजना 15 अप्रैल, 2016 से शुरू होकर 30 अप्रैल, 2016 तक चलेगी। दिल्ली सरकार को यह नहीं मालूम है कि योजना सफल होगी या विफल। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि वे दिल्ली की जनता को बतायें कि यदि आॅड-ईवन योजना सफल रही है तो सरकार उसे हमेशा के लिए क्यों नहीं लागू करती है ? क्या 15-15 दिनों के लिए इसी तरह का तमाशा दिल्ली सरकार वर्ष में कई बार करती रहेगी और इसका नतीजा दिल्ली वालों को भुगतना पडे़गा। उन्होंने कहा कि विश्व में आॅड-ईवन योजना पूरी तरह विफल रही है, जबकि वहां की सड़कें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनी हैं और वहां की आबादी भी एक-दो करोड़ से अधिक नहीं है। यहां तो अकेले दिल्ली की आबादी दो करोड़ से ज्यादा है। यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सभी हिस्सों को जोड़ लिया जाए तो आबादी 3.5 करोड़ से अधिक हो जायेगी। ऐसी स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था किये बगैर आॅड-ईवन योजना सिर्फ सस्ते प्रचार और सरकार की जिद के लिए लागू करना कहां तक न्यायाचित है ? गुप्ता ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि इस बार आॅड-ईवन योजना शुरू करने से पहले ही 10,000 से अधिक अच्छी सार्वजनिक बसें सरकार सड़कों पर उतारे। दिल्ली मैट्रो से करार करे कि आॅड-ईवन योजना चलने के दौरान डीएमआरसी मैट्रो रेल में डिब्बे बढ़ायेगा, फेरे ज्यादा लगायेगा और 15 दिनों तक दिल्ली मैट्रो रेल का किराया आधा कर दिया जायेगा।

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