रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने टिकाऊ एवं सतत विकास के लिए बुनियाद तैयार करने की वकालत करते हुए कहा कि जब वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर हो तो ऐसी स्थिति में‘मेक इन इंडिया फॉर इंडिया’होना चाहिए। राजन ने शनिवार को देर शाम यहां छठे केबी लाल स्मृति व्याख्यान में कहा कि वैश्विक स्तर पर सुधार की संभावना बहुत कम दिख रही है और ऐसी स्थिति में हमें दुनिया के दूसरे देश मदद नहीं कर सकते हैं। हमें घरेलू स्तर पर मांग बढाने की जरूरत है और इसके लिए‘मेक इन इंडिया, फॉर इंडिया’होना चाहिए। यदि वैश्विक स्तर पर मांग बढती है और हमारे उत्पादों को खरीदा जाता है तो हमें अवश्य बेचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमे प्रतिस्पर्धी देश बने रहना है और दूसरे देशों के सस्ते उत्पादों से निपटने के लिए किफायती होने के साथ ही गुणवत्ता बनाये रखनी होगी। वृहद अर्थव्यवस्था एवं टिकाऊ विकास के लिए घरेलू मांग बढाने की जरूरत है और यदि हम घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं होंगे तो वैश्विक बाजार में कैसे टिकेंगे। राजन ने इसके लिए आधारभूत ढांचे में सुधार और कृषि उत्पाद बढ़ाने के साथ ही भंडारण एवं परिवहन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया। केन्द्रीय बैंक प्रमुख ने मंदी, महंगाई, मौद्रिक नीति और बैंकिंग प्रणाली का उल्लेख करते हुये कहा कि लगातार दो कमजोर मानसून और वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए घरेलू मांग बढाने की जरूरत है। रिण बाजार में स्थिरता लाने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि विनिमय दर में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। रिजर्व बैंक विनिमय दर का लक्ष्य तय नहीं करना चाहता है। उन्होंने कहा कि सुधार किये गये हैं, लेकिन वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लंबित पडा हुआ है। दिवालिया कानून को लोकसभा से मंजूरी मिल गयी है। फसल बीमा से किसानों को मदद मिलेगी और उन्हें पंरपरागत खेती से हटकर फसलें लेने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और राजस्थान ने भूमि टाइटभलग का काम शुरू किया है जो बहुत अच्छा है और इसे पूरे देश में लागू किये जाने की जरूरत है। इसके आधार पर भूमि को अर्थव्यवस्था में लाने में मदद मिलेगी। राजन ने मौद्रिक नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता है। मुद्रास्फीति लक्षित मौद्रिक नीति एक उपाय है लेकिन कभी कभी यह भी कारगर साबित नहीं हो पाती है, विशेषकर जब महंगाई शून्य से नीचे चली जाती है और तब ब्याज दर भी शून्य पर होती है।
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