बेटे-बेटी में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिएः अमिताभ बच्चन

MTE1ODA0OTcxOTg4MDU5NjYx बॉलीवड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कहा कि सरकार का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है। उन्होंने बालिकाओं के संरक्षण और पोषण की अहमियत पर जोर दिया। सरकार के दो साल पूरे होने पर यहां एक नई सुबह नाम से एक विशाल समारोह में इस अभियान के बारे में बात करते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा, समय आ गया है कि हम महसूस करें कि देश की आधी आबादी को नजरअंदाज कर और असहाय बना कर उन्हें पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। देश के विकास में वे समान रूप से भागीदार होने चाहिए। एक पुराने संस्कत मंत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को यहां तक कि हमारी धार्मिक मान्यताओं में प्रथम स्थान दिया गया है, जहां सरस्वती ज्ञान की प्रतीक हैं, लक्ष्मी धन की जबकि दुर्गा और काली शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा, मौजूदा परिदृश्य में यह कल्पना तभी हकीकत बनेगी जब समाज में पुरूष और महिला की स्थिति समान होगी। समान संख्या में बेटियां बेटों की तरह जन्म लेनी चाहिएं और उनका उपयुक्त पालन तथा शिक्षा दीक्षा होनी चाहिए ताकि वे लोग जीवन में अपनी यथोचित भूमिका निभा सकें। अमिताभ बच्चन ने कहा कि नया नारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का असली मकसद यह है कि बेटे और बेटी में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए तथा दोनों को परिवार की संपत्ति माना जाना चाहिए तथा समान अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें इस विचार को बढ़ावा देना चाहिए कि हमारे परिवार को बालिका के संरक्षण और पोषण के लिए सबकुछ करना चाहिए मैं इस नारे को पूरे समाज को आगे ले जाने और हमारी महिलाओं के प्रति सही नजरिए को स्वीकारने का एक जरिया मानता हूं। बच्चन ने कहा कि महात्मा गांधी ने हमेशा ही महिला को उच्च शक्ति माना क्योंकि जब अंदरूनी मजबूती की बात आती है तो पुरूष कभी उनका मुकाबला नहीं कर सकते। अभिनेता ने छात्राओं के साथ रोचक बातचीत भी की। एक छात्रा ने पूछा कि वह बिग बी कैसे बन गए, बच्चन ने फर्श पर बैठते हुए जवाब दिया, मैं बिग बी नहीं हूं। यह पत्रकारों का दिया नाम है।

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