
जी हां, सरस्वती विहार निगम वार्ड अन्तर्गत दीपाली निवासी रमेश कुमार गोयल ऐसे ही व्यक्ति हैं, जो स्वयं को कांग्रेस पार्टी का नेता कहते हैं। दीपाली रेजिडेन्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लूए) का चुनाव हार चुके गोयल निगम पार्षद बनना चाहते हैं। सरस्वती विहार वार्ड के लोगों की मानें तो जिस व्यक्ति को स्थानीय लोग भी पसंद न करते हों, वह एमसीडी जैसा लोकल चुनाव लड़कर अपनी भद्द क्यों पिटवाना चाहता है। लोगों का सीधा कहना है कि रमेश कुमार गोयल कांग्रेस क्या, किसी भी पार्टी से या निर्दलीय चुनाव क्यो न लड़े, वह किसी भी हाल में नहीं जीत सकता क्योंकि वह अर्योग्य हे और क्षेत्र के लोग उसे नापसंद करते हैं।
इसके अलावा क्षेत्र के एक कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना है कि रमेश कुमार गोयल संगठन स्तर पर भी फेल रहा है। इनकी पहचान एक निष्क्रिय पार्टी कार्यकर्ता के रूप में रही है, जो चुनाव के समय ही घर से बाहर निकलता है। एक कार्यकर्ता ने तो यहां तक बताया कि पार्टी में इनकी किसी से नहीं बनती है। और कई बार स्थानीय कार्यकर्ताओं से इनकी झड़प भी हो चुकी है। पिछले दिनों ही कांग्रेस की रामलीला मैदान में सम्पन्न रैली के लिए भीड़ जुटाने की बात पर इनका शकूरबस्ती इलाके में लोगों से झगड़ा हुआ था। कई लोग तो रमेश कुमार गोयल को राजनीतिक रूप से बुद्धू भी मानते हैं। लोगों का कहना है कि सरस्वती विहार वार्ड से टिकट की आस लगाये इस सख्स ने रानीबाग वार्ड में जाकर वहां के लोगों को बस में बैठाने की जबर्दस्ती क्यों की, उन्हें तो अपने क्षेत्र में ताकत दिखानी चाहिए थी।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि रमेश कुमार गोयल एक अनाड़ी एवं नौसिखिया नेता हैं, जिन्हें किसी पार्टी द्वारा टिकट देना उस पार्टी को भारी पड़ सकता है क्योकि इनके चुनाव जीतने की उम्मीद ना के बराबर है।