नई दिल्ली। आगामी नगर निगम चुनावों में समान चुनाव चिन्ह देने संबंधी योगेन्द्र यादव के नेतृत्व वाली स्वराज इंडिया की याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज खारिज कर दिया। अदालत ने पार्टी की याचिका खारिज करते हुए कहा, चूंकि ईवीएम पर उम्मीदवारों की तस्वीरें लगी होंगी ऐसे में समान चुनाव चिन्ह नहीं होने की स्थिति में कोई नुकसान नहीं होगा। न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा, चूंकि चुनावी प्रक्रिया के कई चरण पूरा होने के बाद याचिका दायर की गयी है इसलिए ‘अदालत द्वारा मामले में हस्तक्षेप करने को लेकर देर हो गयी है।’ पहले, 23 मार्च को अदालत ने दिल्ली निर्वाचन कार्यालय से पूछा था कि क्या उसकी मंशा पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों-जैसे योगेन्द्र यादव की स्वराज इंडिया को समान चुनाव चिन्ह जारी करने की है। स्वराज इंडिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने अदालत से कहा था कि पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को समान चुनाव चिन्ह जारी करने हेतु नियमों में संशोधन करने का अनुरोध करते हुए वह दिल्ली सरकार को पत्र लिख चुके हैं। इस पर अदालत ने निर्वाचन कार्यालय से जवाब मांगा था। नगर निगम चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने स्वराज इंडिया को समान चुनाव चिन्ह जारी करने से इनकार कर दिया था। भूषण ने इसे अदालत में चुनौती दी थी। स्वराज इंडिया ने दावा किया था कि पंजीकृत पार्टी के सभी उम्मीदवारों को समान चुनाव चिन्ह जारी नहीं करना उसके साथ भेदभाव है क्योंकि आम आदमी पार्टी को पहली बार चुनाव लड़ने पर ऐसी राहत दी गयी थी। स्वराज इंडिया ने निर्वाचन आयोग की 14 मार्च, 2017 की अधिसूचना तथा अप्रैल, 2016 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था। इनमें कहा गया है कि पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त दलों के प्रत्याशियों को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में माना जाएगा। योगेन्द्र यादव और वकील प्रशांत भूषण ने पिछले वर्ष स्वराज इंडिया का गठन किया। आम आदमी पार्टी में अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व को चुनौती देने पर दोनों को पार्टी से निकाल दिया गया था। भारत निर्वाचन आयोग में पार्टी को फरवरी, 2017 में पंजीकृत कराया गया। उसका कहना है कि दिल्ली में चुनाव के लिए आवंटित किए गए चुनाव चिन्ह ‘‘पूरी तरह गैरकानूनी, मनमाने, अस्थाई, अतार्किक और चुनिंदा हैं, यह प्रस्तावित चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता को स्वयं ही खत्म कर रहे हैं।’’ स्वराज इंडिया का कहना है कि मान्यता प्राप्त या गैर मान्यता प्राप्त सभी दलों के प्रत्याशियों को समान चुनाव चिन्ह मिलने पर मुकाबला सबके लिए एक जैसा होगा। स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने आरोप लगाया कि राज्य चुनाव आयोग के चुनाव चिह्न से संबंधित नियम बदलने के निवेदन को दिल्ली सरकार ने दो साल से इसलिए रोके रखा कि उनकी पार्टी को नुकसान हो। उन्होंने कहा कि आयोग के पूर्व आयुक्त राकेश मेहता ने दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर इस संबंध में निवेदन भी किया था किन्तु आम आदमी पार्टी की सरकार आयुक्त के पत्र पर कार्रवाई करने बजाय इसको दबाये रखा। उन्होंने कहा जिस पार्टी को पंजीकृत दलों के लिये एक चुनाव चिह्न का सबसे पहला लाभ मिला, वहीं पार्टी जब सत्तारूढ हुयी तो इस कदर बेशर्म और अलोकतांत्रिक हो गयी यह इसका ज्वलंत उदाहरण है।
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