चैरेवेती-चैरेवेती की मधुर मंत्रमुग्धता के साथ-साथ मां भारती को वैभव के परम् षिखर ले जाने की मनोरथ से 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में हुई। पार्टी अपने मूल दर्षन एकात्म मानववाद के प्रतिफलन राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकात्मता, लोकतंत्र, सामाजिक-आर्थिक विषयों पर गांधीवादी दृष्टिकोण, जिससे शोषणमुक्त एवं समतायुक्त समाज की स्थापना हो सके। सकारात्मक पंथ-निरपेक्षता अर्थात् सर्वधर्मसमभाव और मूल्यों पर आधारित राजनीति के प्रति प्रतिबद्ध हैं। आर्थिक और राजनैतिक विकेन्दीकरण में पार्टी विष्वास करती हैं। जो आज भी सर्वस्पर्षी, हितैषी और अक्षुण हैं। गौरतलब हो कि, साल 1952 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ की स्थापना हुई थी, लेकिन उन दिनों पार्टी का आधार काफी कम था। तथापि पार्टी के कर्मयोगी कदापि विचलित नहीं हुए और अपने लक्ष्य पर चैरेवेती-चैरवेती बढतेे रहे। कदाचित संख्या बल के सामने पीठ नहीं दिखाई और सीना तान मुषिबतों का डटकर मुकाबला किया। सम्यक् ही पं. दीनदयाल उपाध्याय ने बेबाकी से कहा, लोकतंत्र न बहुमत का शासन है, न अल्पमत का वह जनता की सामान्य इच्छा का शासन हैं। यही मूल मंत्र लिए पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं का हुजुम राष्ट्र निर्माण की अभिकल्पना में आगे बढा। जो फिलवक्त सरकारों के दमन के विरूद्ध लडाई लडने में मषगूल हो गया। इसी बीच बाबू जयप्रकाष नारायण के समग्र क्रांति के जयघोष में अन्य विपक्ष दलों के साथ जनसंध भी जनता पार्टी का हिस्सा बन गया। प्रतिभूत तानाषाही सरकार धराषाही हो गई और जनता पार्टी की सरकार सत्ताषीन होकर बाद में गिर गई और जनता पार्टी का बटवारा हो गया। यथेष्ट ही भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ। लिहाजा, संस्थापक अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने 1980 में आयोजित भारतीय जनता पार्टी के पहले अधिवेषन में अपने दमदार भाषण से देष की राजनीति को नई दिषा में ले जाने पर बल दिया। अधिवेषन की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने देष की राजनीति के साथ ही नेताओं पर भी सवाल खडे किए जो पद और प्रतिष्ठा की ताक में रहते हैं। अधिवेषन को संबोधित करते हुए श्री वाजपेयी ने कहा, भाजपा अध्यक्ष पद कोई अलंकार की वस्तु नहीं है। ये पद नहीं दायित्व है, प्रतिष्ठा नहीं है परीक्षा है, ये सम्मान नही है चुनौती है। मुझे भरोसा है कि आपके सहयोग से देष की जनता के समर्थन से मैं इस जिम्मेदारी को ठीक तरह से निभा सकूंगा। हम राजनीति को कुछ मूल्यों पर आधारित करना चाहते है। राजनीति केवल कुर्सी का खेल नहीं रहना चाहिए। यथा उद्धत मीमांसा भाजपा जैसे लोकतांत्रिक, राष्ट्रवादी दल में खोते जा रही है इसे बचाए रखना वक्त की निहात जरूरत हैं क्योंकि आज पार्टी में कुछेक सत्ताभोगी का प्रहार कमयोगी कार्यकर्ताओं पर परिवारवाद, चाटुकारिता और अर्थवाद के रूप पडता है। जो पार्टी को सीचने वाले पुरोधाओं के त्याग, तपष्या और बलिदान पर कुठाराघात हैं। अलौकिक, 1984 में 2 सीट से शुरू कारवां 282 सीटों पर जा पहुंचा और भाजपा के बेमिसाल राष्ट्र सेवा के 37 वर्ष पूरे हुए। अभिभूत अंधेरा छटा, सूरज निकला, कमल खिला पुलकित 2014 के लोकसभा चुनावों में पूर्णकालिक भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला। आच्छादित 3 बार केन्द्र में सत्तारूढ हो चुकी पार्टी 11 करोड से ज्यादा प्राथमिक सदस्य की सेना के दम पर दुनिया की सबसे बडी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी आज केंद्र सहित विभिन्न प्रांतों में अपने दम पर सत्ता में काबिज हैं। फिलाहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्वषील भाजपा सबका साथ, सबका विकास का नारा लेकर अपनी विकास गाथा के अगले चरण मंें चल रही है। बहरहाल, कच्छ से कष्मीर में अपना परचम लहराने के बाद अब कोहिमा से कन्याकुमारी में भी अपना विजय पताका लहराने की कोषिष में जुटी है। जिसकी आहट हालहि में संपन्न विधान सभा चुनावों के परिणामों से दिखाई देने लगी हैं।
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