- जनमत की पुकार ब्यूरो
नई दिल्ली। किसी संगठन की मजबूती उसके समर्पित कार्यकर्ताओं की बदौलत ही होती है, जो बिना अपना स्वार्थ देखे पार्टी व संगठन की बेहतरी के लिए कार्य करते रहते हैं। न कि ऐसे लोगों के भरोसे जो पद न कुर्सी के लालच में बगावत कर अपना अलग—अलग रास्ता तलाश लेते हैं। थोड़े समय तक पद पाने के बाद उनके पास निराशा व पछतावा के अलावा कुछ नहीं रहता। वे अपने परिवार सदृश संगठन से दूर जाने के साथ ही अपने साथियों की नजर में गिरकर भविष्य में वापस लौटने की संभावनाओं को भी क्षीण कर लेते हैं। लेकिन कुछ चालाक किस्म के लोग इतना होने के बादजूद अलग होने या किये जाने के बाद पुनः अंदर का रास्ता तलाशते रहते हैं और किसी प्रकार से अपनी एंट्री निश्चित करने में लगे रहते हैं। कुछ लोगों का ऐसा कृत्य उनके लिए तो फायदेमंद होता है, लेकिन पार्टी व संगठन के लिए हानिकारक ही नहीं खतरनाक भी। कुछ ऐसी ही संभावनाओं से इन दिनों दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का रानीबाग मण्डल रू—ब—रू होने की स्थिति में है। खबर है कि इन दिनों भाजपा—रानीबाग मण्डल अपने नये अध्यक्ष की तलाश में है और इस दौड़ में पार्टी के कई निष्कासित नेतागण शामिल हैं। एक समय पार्टी से बाहर निकाले जा चुके ये लोग आखिर किस मुंह से अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं, यह बात कोई भी स्थानीय भाजपा नेता खुलकर बताने को तैयार नहीं है। सभी इस बारे में मात्र बातें बनाते हुए ही देखे जा रहे हैं, कोई सामने आकर विरोध करता हुआ नहीं दिख रहा है। हां, सूत्रों के अनुसार वैश्योें के कब्जे वाली मण्डल अध्यक्ष की कुर्सी पर इस बार किसी पंजाबी को जिम्मेदारी सोंपने की चर्चा जरूर हो रही है। साथ ही स्थानीय विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ नेता भी अपने—अपने चहेतों को यह पद दिलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। खबर के अनुसार शकूरबस्ती विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत भाजपा रानीबाग मण्डल (वार्ड नं 66) का अध्यक्ष बदला जाना है। पंजाबी, वैश्य व ब्राह्ण समुदाय के लोगों की आबादी वाले इस मण्डल का पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी कार्यकर्ता अपनी गोटियां भिराने में लगे हैं। इस कारण इस क्षेत्र में राजनीतिक गरमाहट देखने को मिल रही है। इस बार यहां एक विशेष बात नजर आ रही है, जो है वैश्यों के आधिपत्य वाले पद पर पंजाबी के लिए अध्यक्ष पद की मांग उठना। उससे भी विशेष व अचरज वाली बात यह है कि इस बार भाजपा से किसी समय निष्कासित किये जा चुके लोग भी मण्डल अध्यक्ष बनने के लिए हांथ—पांव मार रहे हैं, लेकिन कोई कुछ खुलकर बोल नहीं रहा है।
इस संदर्भ में बात करें तो गौरतलब है कि जब भाजपा नेता सुदेश भसीन पार्टी से टिकट नहीं दिये जाने के बाद पार्टी उम्मीदवार शशिदत्त जेटली के विरोध में निर्दलीय चुनाव लड़े थे, तब पार्टी ने सुदेश भसीन सहित गुलशन आनंद, दुर्गा प्रसाद सिंघल, शिव कुमार अग्रवाल, हेमंत आहुजा को संगठन विरोधी कार्यों में संलिप्तता बताकर बाहर का रास्ता दिखा दिया था। यह सन 2012 की बात है। आज पांच साल बीतने के बाद सूत्रों के अनुसार ये नेतागण फिर से भाजपा में पद सहित सक्रियता दिखाने के लिए तत्पर दिख रहे हैं। साथ ही इस सूची में एक नाम और नाम बेद दुबे नाम के शख्स का है, जिनके बारे में चर्चा है कि ये महाशय भारतीय जनता पार्टी के नेता तो छोड़िये, पार्टी के लिए समय देने वाले सक्रिय सदस्यत तक नहीं है। लेकिन नाम व मतलब के भाजपा नेता बन रहे श्री दुबे मण्डल अध्यक्ष की कुर्सी की लालसा पाले घूम रहे हैं आजकल। उपरोक्त पदलोभी तथाकथित अवसरवादी भाजपा नेताओं के साथ ही यहां के स्थापित व शासन में भागीदारी कर रहे नेतागण भी अपने—अपने लोगों को मण्डल अध्यक्ष का पद दिलाने के लिए ख्ूाब दांव लगा रहे हैं।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार पूर्व विधायक व भाजपा नेता डॉ. एससी वत्स, श्यामलाल गर्ग, वर्तमान निगम पार्षद वंदना शशिदत्त जेटली जैसे कई नेता अपने लोगों को इस पद पर आसीन देखना चाहते हैं और इसके लिए इन्होंने प्रयास भी तेज कर दिये हैं। दूसरी ओर काफी वक्त से वैश्य समाज के अधीन रही रानीबाग मण्डल भाजपा की कुर्सी पर पहली बार किसी पंजाबी के लाने की मांग भी उठ रही है। यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि अब तक यह पद शिव कुमार, अशोक गुप्ता एवं वर्तमान में संजय सिंघल जैसे वैश्य समुदाय के नेताओं के पास रहा है, लेकिन पहली बार लगता है पंजाबी बिरादरी का कोई नेता इस कुर्सी पर अपना कब्जा कायम करेगा।