नई दिल्ली। मोहल्ला क्लीनिक योजना को लेकर राजनिवास में बृहस्पतिवार की शाम उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में दोबारा बैठक बुलाई गई। इस बैठक से विधायकों को दूर रखा गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बैठक में शामिल हुए। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री से मोहल्ला क्लीनिक का मसला जल्द सुलझने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार एक महत्वपूर्ण सेवा है किसी भी सरकार का अपने नागरिकों को इसे प्रभावी ढंग से पहुंचाना लक्ष्य होना चाहिए। सरकार की इस कोशिश का वह भी समर्थन करते है। तभी उपराज्यपाल का पदभार संभालने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने स्कूलों में मोहल्ला क्लीनिक चालू करने के लिए सैद्धातिक मंजूरी दी। लेकिन इसके बाद सरकार की इस योजना को लेकर कुछ शिकायतें भी आई। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने दिल्ली सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक की परियोजना की पृष्ठभूमि बताते हुए इन क्लीनिकों की स्थापना के संबंध में प्राप्त शिकायतों के बारे में दोबारा से उपराज्यपाल को जानकारी दी। स्वास्थ्य सचिव ने जो शिकायतें गिनाई उसमें मोहल्ला क्लीनिक के लिए परिसर का चयन करने के लिए कोई पारदर्शी तरीका नहीं होना, परिसर का किराया बाजार के किराये से अधिक होना, पार्टी कार्यकर्ताओं का परिसर किराये पर लेना, क्लीनिक का स्थान एवं मौजूदा डिस्पेंसरी का कोई समन्वय नहीं होना, क्लीनिक चलाने के लिए चार घटे पर्याप्त नहीं होना, मरीजों का कोई उचित लेखा जोखा नहीं होना, जिससे कि चिकित्सकों का भुगतान का निर्णय किया जा सके, यह शामिल था। उसके बाद उन्होंने विभागीय फाइल जमा कराई।
उपराज्यपाल ने कहा कि आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक जैसे महत्वपूर्ण योजना को लागू करते समय इस बात पर महत्ता देनी चाहिए कि सभी तरह के मुद्दे शामिल हों। जो शिकायतें आईं है उसे भी दूर किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कार्यक्रम पारदर्शी ढंग से लक्ष्य प्राप्त करे। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि मोहल्ला क्लीनिक पर फैसला पर्याप्त सुरक्षा उपायों को देखते हुए लिया जाएगा।
राजनिवास पहुंचे विधायकों की भीतर नो एंट्री
मोहल्ला क्लीनिक मसले पर बुधवार को राजनिवास पहुंचे आप विधायकों में से कुछ विधायक बृहस्पतिवार को भी बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। लेकिन उन्हें गेट से ही लौटा दिया गया। इन विधायकों में रोहताश नगर से आप विधायक सरिता सिंह भी शामिल थीं, जो गर्भवती हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि वह बुधवार को सात घंटे तक राजनिवास में रहीं लेकिन उन्हें दवाई और खाने-पीने का सामान बाहर से नहीं लाने दिया गया। इस संबंध में उन्होंने बृहस्पतिवार को उपराज्यपाल को एक शिकायत पत्र भी लिखा।