नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मरीजों को लंबे समय से सभी दवाइयां नहीं मिल रही हैं। डाक्टर तीन या चार दवाइयां लिखते हैं तो अस्पताल से एक या दो दवाइयां मिलती हैं। यही हाल मोहल्ला क्लीनिकों का भी है। अब जाकर मुख्यमंत्री के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों से मरीजों को सौ फीसद दवाइयां उपलब्ध कराने को कहा है। अस्पताल में दवाइयों की कमी दूर करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। दवाइयों की खरीद-फरोख्त से लेकर स्टॉक पर निगरानी रखने के लिए विभाग ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि अस्पताल खुद से दवाएं खरीदे या फिर सरकार से इसकी अनुमति लेकर कमियों को पूरा करे। एक नवंबर से अगर किसी भी अस्पताल में दवाओं से संबंधित कमी पाई गई तो अस्पताल के आला अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को प्रत्येक सप्ताह संबंधित दवाइयों का रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग को भेजना होगा। मरीजों की समस्या दूर नहीं किए जाने की सूरत में स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंची शिकायतों का ब्यौरा भी सीएमओ को ही रखना होगा।
मालूम हो कि फरवरी 2016 में दिल्ली सरकार ने अपने पांच बड़े अस्पतालों में 24 घंटे फ्री में दवाईयां उपलब्ध कराने का वादा किया था। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना था कि अस्पतालों में दवाइयों के लिए मरीजों को लंबी कतारें नहीं लगानी होंगी। दवाई वितरण की व्यवस्था एम्स के दवाई वितरण केंद्र की तरह होगी। दवाई वितरण केंद्र में 20 से 25 काउंटर होंगे। डाक्टर द्वारा जारी पर्ची को लेकर मरीज व तीमारदार को दवाई वितरण केंद्र में जाकर टोकन लेना होगा। फिर जिस काउंटर पर टोकन नंबर आएगा वहां जाकर दवाइयां मिल जाएंगी। उन्होंने बताया कि दिन के समय सभी काउंटर पर दवाइयां मिलेंगी। लेकिन रात के समय एक या दो काउंटर पर ही दवाइयां मिलेगी। यह वादा आज तक पूरा नहीं हो सका है। पुरानी व्यवस्था के तहत भी अस्पताल में मरीजों को डाक्टरों द्वारा लिखी गई दवाइयां नहीं मिल रही हैं।