नई दिल्ली/टीम डिजिटल। रोजमर्रा के सामान्य कामकाज को निपटाते वक्त क्या आपको जोड़ों के दर्द का सामना करना पड़ता है और आप अक्सर राहत के लिए दर्द निवारक दवाओं के सेवन के लिए मजबूर हैं? यदि ऐसा ही है तो योग इसमें आपको राहत प्रदान कर सकता है। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों के दर्द की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। शरीर में हड्डियों का कमजोर होना, उचित व्यायाम और भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव से जोड़ों के रोग प्रकट होने लगते हैं।
दवाओं के उपयोग से इस दर्द से सामयिक लाभ मिलता है पर इसका प्रामाणिक वैकल्पिक उपचार योग में उपलब्ध है जिसके अभ्यास से दर्द मुक्ति में शीघ्र लाभ होता है। विशेषकर सर्दी में अकडऩ व दर्द की समस्या आम हो जाती है। ऐसे में आर्थराइटिस यानी जोड़ों के दर्द के मरीजों की तकलीफ भी बढ़ जाती है। कुछ प्रमुख योगासनों की मदद से जोड़ों और मांसपेशियों में अकडऩ, दर्द व सूजन की परेशानी में राहत मिलती है। इनमें गोमुखासन, सेतुबंधासन और वृक्षावसन प्रमुख हैं।
वीर भद्रासन
वीरभद्र एक शक्तिशाली योद्धा थे जिनके नाम पर इस आसन को नाम दिया गया है। इस आसन से शरीर को शक्ति मिलती है। यदि आप अत्यधिक वजन तथा कमर, जांघ आदि में बढ़ रही चर्बी से परेशान हैं तो यह योग आपके लिए बेहतर उपाय है।
विधि :
सबसे पहले दोनों पैरों के बीच 3 से 4 फुट का अंतर रख कर सीधे खड़े हो जाएं। अब अपने दाएं घुटने को मोड़ें ताकि आप धक्का मारने की स्थिति में नजर आएं। अपने धड़ को मुड़े हुए दाएं पैर की और मोड़ें।अब अपने हाथों को कंधे के बराबर सीधा करें, ध्यान रहे हथेलियां आसमान की ओर खुली रहें।इस अवस्था में आपकी छाती पूरी खुली हुई होनी चाहिए, अब धीरे-धीरे अपनी हथेलियों को सिर के ऊपर ले जाकर नमस्कार की मुद्रा बना लें।कुछ समय इस अवस्था में रहें और पुन: इस क्रिया को दोहराएं।
नोट : जिन्हें उच्च रक्तचाप या दस्त की समस्या हो, वे वीर भद्रासन न करें। अगर आपकी गर्दन में परेशानी हो तो हाथ की तरफ देखने के लिए अपना सिर न मोड़ें। सामने की ओर ही देखते रहें। अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं।
गोमुखासन
उंगलियों से लेकर कंधे, गर्दन, रीढ़ या कूल्हे के जोड़ में दर्द को कम करने में यह आसन मददगार है।
विधि : सुखासन में बैठकर बाएं पैर की एड़ी को दाईं ओर कूल्हे के पास रखें। दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर से लाते हुए ऐसे बैठें कि दोनों पैरों के घुटने एक-दूसरे पर आ जाएं। दाएं हाथ को सिर की तरफ से पीठ की ओर लाएं। बाएं हाथ को कोहनी से मोड़ते हुए पेट की तरफ से घुमाकर पीठ की ओर ले जाएं। पीछे से दोनों हाथ मिलाएं। कुछ देर इस स्थिति में रुककर प्रारंभिक अवस्था में आएं।
नोट : कंधे, पीठ, गर्दन, कूल्हों या घुटनों में कोई परेशानी हो तो यह आसन न करें।
यह आसन खासकर पीठ और पैर की मांसपेशियों के अलावा हाथों की मजबूती देता है।
विधि : पीठ के बल लेट कर हाथों को कमर के बराबर रख कर सामान्य सांस लें। पैरों को घुटनों से मोड़ें व हाथों को कमर के नीचे से ले जाते हुए एडिय़ों को पकड़ लें। कंधे व गर्दन को जमीन पर टिकाकर रखें और कमर व कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। कुछ देर ऐसी अवस्था में रहते हुए सामान्य सांस लें। फिर प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
ध्यान रखें : खाली पेट अभ्यास न करें। पूर्व में पेट, कमर या गर्दन से जुड़ी सर्जरी हुई हो तो इसे न करें।
सिर से लेकर पंजों तक हर तरह की मांसपेशियों में मजबूती आने और रक्तसंचार ठीक होने से दर्द का एहसास कम होगा।
विधि : दोनों पैरों के बीच दो इंच का अंतर रखकर सीधे खड़े हो जाएं। आंखों के सामने किसी ङ्क्षबदू पर ध्यान केंद्रित करें।
सांस बाहर छोड़ते हुए दाएं पैर को मोड़कर पंजे को बाएं पैर की अंदरूनी जांघ पर रखें। अभ्यास करते समय ध्यान रखें कि एड़ी मूलाधार (शरीर में मौजूद सबसे निचला चक्र) से मिली हो। सांस लेते हुए दोनों हाथ ऊपर लाएं व हथेलियां आपस में जोड़ लें। क्षमतानुसार करें।
नोट : अधिक वजन और चक्कर आने की स्थिति में इसे न करें।
धनुरासन
इस आसन को करते समय शरीर की आकृति धनुष के समान नजर आती है इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है। यह रीढ़ की हड्डी, घुटनों और पैरों के लिए बहुत लाभदायक आसन है।
विधि : समतल जमीन पर चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं और ठुड्डी को जमीन से लगाकर रखें।अब पैरों को घुटने से मोड़ें और पंजों को हाथों से पकडऩे का प्रयास करें।फिर सांस भरते हुए और बाजुओं को सीधे रखते हुए सिर, कंधे और छाती को ऊपर उठाएं। इस स्थिति में सांस सामान्य रखें और कुछ सैकेंड के बाद सांस छोड़ते हुए पहले छाती, कंधे और ठुड्डी को धीरे-धीरे जमीन की ओर लाएं।अब पंजों को छोड़ दें और कुछ समय आराम करें। इस आसन को 3 से 4 बार दोहराएं।
नोट : यदि उच्च या निम्न रक्तदाब, हर्निया, कमर दर्द, सिर दर्द, माइग्रेन (सिर के अर्ध भाग में दर्द), गर्दन में चोट या हाल ही में पेट का आप्रेशन हुआ हो तो धनुरासन न करें।