नई दिल्ली : नगर निगम चुनाव में विरोधी दलों को चित करने के मकसद से भाजपा ने पार्षदबंदी का दांव चला है। पार्टी ने वर्तमान पार्षदों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। इस फैसले से पार्षदों में खलबली है। बेचैन पार्षद टिकट के लिए सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों से मनुहार कर रहे हैं। सोमवार को सिविक सेंटर में सात घंटे तक मैराथन बैठक के बाद मंगलवार को पार्षद लामबंद होकर केंद्रीय मंत्रियों के दरबार में पहुंचे। नेताओं ने पार्षदों की खैरियत पूछी और आश्वासन देकर विदा किया।
एक पार्षद ने बताया कि मंगलवार सुबह तीनों नगर निगमों के मेयर, स्थायी समिति के अध्यक्ष और नेता सदन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। पार्षदों ने अपना राजनीतिक करियर दांव पर बताते हुए गुजारिश की कि पार्टी उनका ख्याल रखे। सभी को एक तराजू में तौलना उचित नहीं। हो सकता है कि कुछ पार्षद भ्रष्टाचार में लिप्त हों, लेकिन इसका खामियाजा सभी पार्षद क्यों भुगतें।
एक पार्षद ने बैठक में कहा कि उन्होंने दस साल तक क्षेत्र में काम किया है। पार्टी चाहे तो सर्वे करा ले। एक अन्य पार्षद ने पार्टी के इस कदम से पार्षदों पर भ्रष्टाचार का ठप्पा लगने की बात कही। करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक के बाद नितिन गडकरी ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तक पार्षदों की बात पहुंचाने की बात कही। इसके बाद पार्षद दोपहर में प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से मिलने पहुंचे। उन्होंने भी पार्टी आलाकमान तक बात पहुंचाने की बात कही। बिना उनके आदेश के कोई ठोस निर्णय लेने में असमर्थता भी जताई। बैठक का क्रम शाम तक जारी था। कई पार्षद शाम को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू से भी मिले।
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बड़े नेताओं को बंधी टिकट की उम्मीद
एक पार्षद ने बताया कि गत तीन दिनों से पार्षद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों से मिल रहे हैं। कई नेताओं ने बडे़ अंतर से प्रतिद्वंद्वी को हराने वाले और अच्छा काम करने वाले पार्षद को टिकट देने की हामी भरी। ऐसे में बडे़ चेहरों को टिकट मिलने की आस बंधी है। हालांकि इससे नेताओं का असंतोष खुलकर सामने आने का भी खतरा बढ़ रहा है। एक पार्षद ने बताया कि नामांकन तारीख तक टिकट संबंधी फैसला नहीं होने पर कई पार्षद निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।