जी.एस.टी. लागू, प्रॉपर्टी सस्ती लेकिन मेंटीनेंस हुई महंगी

नई दिल्ली।  देश एक-टैक्स एक का नारा भले ही सुनने में अच्छा लगता हो और इसके लागू होने से ग्राहक और दुकानदार दोनों को राहत मिलने के आसार हैं लेकिन प्रॉपर्टी की हालत पर असर नहीं पडऩे वाला। हां इसके आने से निवेशकों  के लिए खुशखबरी है क्योंकि इसके लागू होने से मौजूदा फ्लैट की कीमतों में 5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आ जाएगी। लागू नए जी.एस.टी. के तहत केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से तैयार मकानों और अपार्टमैंट्स पर 12 प्रतिशत जी.एस.टी. को मंजूरी मिली है।

आंकड़ों के मुताबिक 2 करोड़ के फ्लैट की कीमत 6 से 10 लाख रुपए तक कम हो जाएगी। अफोर्डेबल सैगमैंट के 30 लाख रुपए (3,500 रुपए प्रति स्क्वेयर फुट एरिया) तक के फ्लैट्स में भी 5 प्रतिशत तक की कमी आएगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक जी.एस.टी. के लागू होने से भले ही डिवेल्परों को आंशिक फायदा मिलेगा, लेकिन इससे बायर्स काफी फायदे में रहेंगे लेकिन एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा है कि फायदा केवल उन बायर्स को होगा जो प्रीमियम प्रॉपर्टी के खरीदार बनेंगे, नहीं तो सामान्य प्रॉपर्टी में टैक्स की राहत पर महज 1 प्रतिशत का लाभ मिलेगा।

पहले पजैशन के समय में बायर्स को जहां 5 से 4.5 प्रतिशत का सर्विस टैक्स का भुगतान देना होता है लेकिन अब यह भुगतान नहीं करना होगा क्योंकि अब प्रॉपर्टी पर 12 प्रतिशत का जी.एस.टी. रेट तय किया गया है जो केवल एक बार ही देना होगा।

बिल्डर्स को जी.एस.टी. के आने से मिली राहत
जी.एस.टी. में सीमैंट, स्टील, पेंट्स और अन्य आइटम्स, जिनका प्रयोग बिल्डिंग निर्माण में होता है, पर टैक्स क्रैडिट की मंजूरी दी गई है। ऐसे में जहां बायर्स पर टैक्स है वहीं अब डिवैल्पर्स को भी करीब 7 से 8 प्रतिशत  छूट मिल रही है, जिसके चलते कंस्ट्रक्शन कॉस्ट भी कम होगी।

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यह बिल्डर के लिए राहत की बात है, क्योंकि किसी भी साइट के निर्माण में डिवैल्पर को करीब 22 वस्तुओं को मिला कर निर्माण करना होता है,जिनमें स्टील,सीमैंट,रेता, कंक्रीट समेत अन्य चीजें शामिल हैं लेकिन अब इन पर एक टैक्स के लागू होने से बार-बार गुड्स पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा। यही नहीं टैक्स क्रैडिट को मंजूरी दिए जाने के बाद खरीदारों पर वास्तविक बोझ में कमी आएगी।

मकान हुआ सस्ता लेकिन मैंटीनैंस चार्ज हो गया मंहगा
वस्तु व सेवा कर (जी.एस.टी.) के लागू होने से भले ही फ्लैट की कीमतों पर 5 से 10 प्रतिशत का असर पड़ेगा,वहीं जब बायर्स फ्लैट की रजिस्ट्री  कराएंगे तो सर्विस टैक्स से राहत मिलेगी लेकिन जब वे रहना शुरू कर देंगे तो अन्य शहरों की तुलना में मैट्रो शहर में मैंटीनैंस चार्ज अधिक देना होगा।  एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसे लोगों पर भी असर पडऩे की संभावना है, जिनकी सोसायटी का सालाना फंड 20 लाख रुपए से अधिक का है।

जानकारों के मुताबिक जी.एस.टी. के लागू होने के बाद टैक्स में 2.5 प्रतिशत की बढ़ौतरी हो जाएगी। अभी यह टैक्स 15.55 प्रतिशत है, जो 1 जुलाई के बाद 18 प्रतिशत हो जाएगा। इसका असर उन लोगों पर ज्यादा पड़ेगा, जिनको 5 हजार रुपए से अधिक का मासिक मैंटीनैंस देना पड़ता है। इसमें प्रॉपर्टी टैक्स, स्टांप ड्यूटी और पानी व बिजली का बिल शामिल नहीं है।

लगी बंदिश : अब सोसायटी और आर.डब्ल्यू.ए. का रजिस्ट्रेशन कराना होगा अनिवार्य
जी.एस.टी. में लागू होने वाले इस नियम का असर उन सोसायटी और आर.डब्ल्यू.ए. पर भी पड़ेगा, जिनका वाॢषक फंड 20 लाख रुपए से ज्यादा का है। जी.एस.टी. के तहत यह नियम भी बनाया गया है कि जितनी भी सोसायटी या फिर आर.डब्ल्यू.ए. में 20 लाख से ज्यादा का लेन-देन है,उनका रजिस्टे्रशन अनिवार्य होगा क्योंकि अब इन्हें भी जी.एस.टी. के दायरे में ला दिया गया है।  हालांकि, जी.एस.टी. द्वारा इसे दायरे में लाने के बाद इसका विरोध हुआ है, लेकिन सरकार ने इसमें किसी को भी राहत देने से इंकार कर दिया है।

सोसायटी और संगठन के लोगों का तर्क है कि अपार्टमैंट में बनने वाली सोसायटी या फिर मोहल्ले की आर.डब्ल्यू.ए. अपने फंड का इस्तेमाल जनसेवा और एमरजैंसी के दौरान करती है और यह पैसा लोगों के द्वारा ही इक_ा किया जाता है। इस पैसे का कोई व्यापार नहीं होता । इसलिए इस पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं होना चाहिए। इस संबंध में नोएडा फैडरेशन के अध्यक्ष एन.पी. सिंह ने कहा कि कोई भी सोसाइटी या आर.डब्ल्यू.ए. फंड का इस्तेमाल तब तक नहीं करती, जब तक कोई बड़ा खर्चा न आ जाए। अब टैक्स ज्यादा लगने से उनको फंड का स्टेट्स सही रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

जी.एस.टी. पर क्या कहते हैं  एक्सपर्ट
जी.एस.टी. के तहत जो टैक्स स्लैब प्रॉपर्टी के लिए लाया गया है,उसका स्वागत है। इससे गुड्स की कीमतों पर असर पडऩे से कच्चा माल सस्ता मिलेगा,उससे डिवेल्परों को ही राहत मिलेगी। इसके अलावा 12 प्रतिशत जी.एस.टी. रेट तय करना कस्टमर-फ्रैंडली मूव है और इससे लोगों को कम टैक्स देना होगा। प्रीमियम प्रोडक्ट्स की बात करें तो 12 प्रतिशत जी.एस.टी. से 6,000 रुपए स्क्वेयर फुट तक वाले प्रोजैक्ट्स के बायर्स को लाभ होगा।
-क्रेडाई के चेयरमैन गीतांबर आनंद
इनपुट क्रेडिट की सही ढंग से मंजूरी दी गई तो 12 प्रतिशत  का जी.एस.टी. रेट ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। 12 प्रतिशत जी.एस.टी. से निश्चित तौर पर अफोर्डेबल सैगमैंट में टैक्स का बोझ कम होगा। कंस्ट्रक्शन के सामान पर टैक्स की दर फाइनल प्राइस से 12 फीसदी अधिक है  लेकिन, यदि कोई डिवेल्पर ज्यादा मार्जिन के साथ काम करता है तो नैट टैक्स लगभग पहले जैसा ही बना रहेगा।       -क्रेडाई के वी.पी. मनोज गौर

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